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राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता: विशेषताएं, जीवनशैली और ऐतिहासिक प्रमाण

राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ

परिचय (Introduction):

राजस्थान का इतिहास जितना वैभवशाली है, उतना ही प्राचीन भी। यही भूमि वह क्षेत्र है जहाँ मानव सभ्यता की शुरुआत पत्थरों से हथियार बनाने, गुफाओं में रहने और शिकार के जीवन से हुई थी। पूर्व पाषाणकाल, जिसे Paleolithic Age भी कहा जाता है, मानव विकास की प्रारंभिक अवस्था को दर्शाता है, और राजस्थान इस युग का साक्षी रहा है। यह लेख उन सभी जिज्ञासाओं का उत्तर है जो पूछती हैं:

1 "राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?"

2 "आदिम मानव का सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक जीवन कैसा था?"

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किस प्रकार पत्थर युग का मानव धीरे-धीरे एक विकसित सभ्यता की ओर बढ़ा और कैसे राजस्थान इस ऐतिहासिक यात्रा का केंद्र बना।

सभ्यता के केन्द्र

पूर्व पाषाण एवं उत्तर पाषाणयुगीन मानव जीवन के केन्द्र राजस्थान के अनेक स्थानों पर पाये गये हैं। डॉ. विजयकुमार के अनुसार, “पाषाण-युगीन संस्कृति का प्रसार जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, अजमेर, अलवर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़,जयपुर, झालावाड़, जालौर, पाली, टोंक आदि जिलों में हो चुका था।" सरस्वती, चम्बल, बेड़च, गम्भीरी, आहड़ तथा लूनी नदियों और अरावली की श्रेणियों के किनारों और गड्डों में जमी हुई परतों तथा उनके आस-पास के क्षेत्रों में मिलने वाले पत्थरों के औजार इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि राजस्थान मानव उद्गम वाले विश्व के प्राचीन भू-भागों में एक अति प्राचीन भू- भाग है।

राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता: विशेषताएं, जीवनशैली और ऐतिहासिक प्रमाण

राजस्थान की प्राचीन पाषाणकालीन सभ्यता, जीवनशैली, औजार, धार्मिक और सामाजिक जीवन

इतिहासकारों के अन्तर्गत पूर्व पाषाण काल का आरम्भ आज से लगभग 6 लाख वर्ष पूर्व हआ और उस युग के मानव का विकास पहाड़ी कन्दराओं व नदियों के किनारों के बीहड़ जंगलों में हुआ। तब से लेकर आज से लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व तक पाषाण-युग के अवशेष स्थिर रहे।

1. आदिम मानव-

इस युग का आदिम मानव श्याम वर्ण व छोटे कद का होता था। उसकी नाक चपटी तथा बाल घुघराले होते थे। इस युग का आदिम मानव अत्यन्त बर्बर था। धूप, वर्षा एवं शीत से बचने के लिये वह पहाड़ी कन्दराओं, वृक्षों के नीचे तथा नदियों एवं झीलों के किनारे रहता था। उसे भोजन, शिकार आदि के लिए इधर-उधर घूमना पड़ता था।

2. औजार-

अपनी रक्षा तथा जीविका दोनों के लिये आदिम मानव को हथियारों और औजारों की आवश्यकता थी। वह पत्थर के हथियारों का प्रयोग करता था। इन हथियारों और औजारों में कुल्हाड़ी, तीर के फल, भाले आदि उल्लेखनीय थे। उसके पत्थर के हथियार और औजार भद्दे तथा भौंडे थे। उसके पत्थर के हथियार और औजार दो प्रकार के थे-

(1) ऐसे औजार जो बड़े-बड़े पत्थरों को काट कर बनाये जाते थे तथा

(2) दूसरे प्रकार के वे औजार जो पूरे पत्थरों को काट-छाँट कर अथवा गढ़-गढ़ाकर उनके किनारे काम में लाये जाते थे।

इस युग के आदिम मानव को धातुओं के प्रयोग तथा मिट्टी के बर्तन बनाने का ज्ञान नहीं हुआ था। वह आग जलाने की प्रक्रिया से भी अनभिज्ञ था।

3. भोजन और वस्त्र-

इस युग का आदिम मानव कन्द-मूल, फल-फूल, माँस, मछली आदि का सेवन करता था। वह जानवरों के कच्चे माँस का ही सेवन करता था। वह मुख्य रूप से हिरन, भैंसे, सूअर और अन्य छोटे-छोटे जानवरों का शिकार करता था। अपना तन ढकने के लिये वह वृक्षों की छाल, पत्तों तात पशुओं की खाल का प्रयोग करता था

4. सामाजिक जीवन-   

इस युग के लोग छोटे-छोटे झुण्डों में रहते थे तथा प्रत्येक टोली का एक मुखिया होता था जिसका आदेश टोली के अन्य सदस्य मानते थे। ये लोग झुण्ड बनाकर अपने शिकार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण किया करते थे तथा जंगली जानवरों से अपनी रक्षा की सामूहिक ढंग से करते थे। लज्जा की भावना का अनुभव कर ये लोग अपने गुप्त अंगों को वृक्षों की छाल, पत्तों तथा पशुओं की खाल से ढकने लगे थे।

5. धार्मिक जीवन-

इस युग के लोगों में धार्मिक भावना विकसित नहीं हुई थी। इन लोगों की यह धारणा बन गई थी कि मनुष्य के जीवन का अन्त उसकी मृत्यु के साथ ही नहीं हो जाता बल्कि उसके पश्चात् भी उसे उन सभी वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है, जिनका वह अपने जीवन में प्रयोग करता था। इसी कारण वह जमीन में गाड़े गये शवों के साथ औजार, आभूषण, माँस आदि वस्तुएँ भी रख दिया करता था। ये लोग अपने शवों को जमीन में गाड़ देते थे अथवा उन्हें खुले मैदान में छोड़ देते थे, जिनको या तो जंगली जानवर खा जाते थे या फिर वे स्वयं ही सड़-गल जाते थे।

6. आर्थिक जीवन-

इस युग के लोग अपनी आवश्यकता की वस्तुओं की स्वयं ही व्यवस्था करते थे। ये लोग शिकार में अधिक तेज तथा सफल औजारों का प्रयोग करने लगे थे। इन्होंने तम्बू बनाया तथा अपने पहनने और ओढ़ने के लिए खोल बनाना भी सीख लिया था। खुदाई में शंख और कौड़ियाँ प्राप्त हुई हैं। इससे ज्ञात होता है कि इस युग के लोग विनिमय-पद्धति से परिचित थे तथा वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इनका प्रयोग करते थे।

FAQs: राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता

1. राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता क्या थी?

यह सभ्यता उस समय की है जब मानव ने पत्थरों का उपयोग औजार और हथियारों के रूप में करना शुरू किया था। राजस्थान के कई क्षेत्रों जैसे जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर आदि में प्राचीन मानव के जीवन के प्रमाण मिले हैं, जो इस सभ्यता की पुष्टि करते हैं।

2. पूर्व पाषाणकालीन मानव कहाँ रहता था?

पूर्व पाषाणकालीन मानव पहाड़ी गुफाओं, जंगलों, नदियों व झीलों के किनारे पर रहता था। वह मौसम से बचने के लिए वृक्षों की छांव और कंदराओं में शरण लेता था।

3. इस युग के मानव के मुख्य औजार कौन से थे?

इस युग के मानव ने मुख्य रूप से पत्थर से बने औजार जैसे कुल्हाड़ी, भाला, तीर के फल आदि का उपयोग किया। ये औजार खुरदुरे, भारी और असंवेदित होते थे।

4. पूर्व पाषाणकालीन मानव का भोजन कैसा था?

उस समय के मानव कंद-मूल, फल, शहद और जानवरों के कच्चे मांस का सेवन करते थे। वे शिकार करके हिरन, भैंसे, सूअर जैसे जानवरों का मांस खाते थे।

5. क्या पूर्व पाषाणकालीन मानव में धार्मिक भावना थी?

धार्मिक भावना पूर्ण रूप से विकसित नहीं थी, लेकिन यह धारणा ज़रूर थी कि मृत्यु के बाद जीवन चलता है। इसलिए वे शवों के साथ औजार, मांस आदि वस्तुएँ भी रखते थे, जो प्रारंभिक धार्मिक विश्वास को दर्शाता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

राजस्थान की पूर्व पाषाणकालीन सभ्यता केवल इतिहास की एक कहानी नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व और विकास की मूलभूत नींव है। इस युग के आदिम मानव ने प्राकृतिक परिस्थितियों से जूझकर धीरे-धीरे औजारों, वस्त्रों और सामाजिक जीवन का विकास किया।

हालाँकि वह धातु, अग्नि और बर्तन बनाने की कला से अनभिज्ञ था, फिर भी उसने अपने साहस, अनुकूलन और सामूहिक जीवन की भावना से सभ्यता की शुरुआत की। राजस्थान की नदियाँ, पर्वत और गुफाएँ आज भी उन संघर्षशील मानवों की मौन गाथाएँ सुनाती हैं, जिन्होंने यहाँ जीवन का पहला अध्याय लिखा। आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी। यदि जानकारी आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।

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