बीसवीं सदी का विश्व
आज हम चर्चा करेंगें 20 वीं सदी के विश्व इतिहास की। ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। इस सदी के इतिहास पर दृष्टि डाली जाए तो इस समय बहुत सारी ऐसी घटनाएँ घटी थी जिसका प्रभाव सामाजिक व आर्थिक रूप से सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा था। विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी, प्रथम विश्व युद्ध तथा द्वितीय विश्व युद्ध इसी सदी में हुए थे। इस सदी में विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में काफी उन्नति व प्रगति हुई थी। निम्न बिन्दुओ के अन्तर्गत विस्तार से जानने का प्रयास करेंगें-
बीसवीं सदी का विश्व इतिहास |
प्रथम विश्व युद्ध (प्रथम महायुद्ध)
कारण, बाल्कन
युद्ध, अस्त्र-शस्त्रों की होड़, कूटनीतिक सन्धियाँ तथा
राष्ट्रवाद।
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम
प्रथम विश्व युद्ध के बाद शान्ति समझौता
पेरिस शान्ति
समझौता और पेरिस की सन्धियाँ।
बाल्कन युद्ध के कारण एवं परिणाम
विश्व व्यापी आर्थिक संकट (1929-32)
सन् 1930-32 में
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के कारण।
1917 रूसी क्रान्ति के कारण
1917 रूसी क्रान्ति के प्रभाव और महत्व
चीन में साम्यवादी क्रान्ति का महत्व तथा विश्व राजनीति पर इसके प्रभाव
विश्व राजनीति
में चीन का अभ्युदय।
इटली फासिस्टवाद के उदय के कारण और प्रभाव
फासीवाद के राजनीतिक
प्रभाव।
जर्मनी में नाजीवाद के अभ्युदय के कारण
जर्मनी में नाजीवाद का विकास (हिटलर का उत्कर्ष)
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की उत्पत्ति, विकास तथा उपलब्धियाँ
आधुनिक विश्व शक्ति के रूप में जापान का उदय
जापान की विदेश
नीति
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम
द्वितीय विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाओं के विभिन्न चरण।
द्वितीय विश्व युद्ध का वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सांस्कृतिक जीवन पर प्रभाव।
राष्ट्र संघ (1920)
राष्ट्र संघ के उद्देश्य, सिद्धान्त एवं उपलब्धियाँ
संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.)
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य एवं सिद्धान्त
संयुक्त राष्ट्र संघ की उपलब्धियाँ
भारतीय राष्ट्रवाद
भारत में
राष्ट्रीय जागृति का उद्भव
मध्यपूर्व में अरब राष्ट्रवाद
अरब लीग (अरब
राष्ट्रवाद)
1936 से पैलेस्टाइन का इतिहास
इण्डोनेशिया में राष्ट्रवादी आन्दोलन
कोरिया गणराज्य
पूर्व सोवियत संघ का विघटन
वैश्वीकरण के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
बीसवीं सदी में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में प्रगति
मिस्र का स्वतन्त्रता संग्राम
रंगभेद नीति
भारत की विदेश नीति
विदेश नीति के सम्बन्ध में भारत के पड़ोसी देशों से सम्बन्ध
वर्साय की सन्धि
की अलोचना
शीत युद्ध के कारण और प्रभाव
शीत युद्ध की समाप्ति के प्रयास
नाटो और वारसा पैक्ट
आगे की पोस्टों
में विस्तार से वर्णन करेंगें -----
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