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एक अच्छे शोधार्थी के गुण

एक अच्छे शोधार्थी के गुण

एक अच्छा विद्वान तथा शोधार्थी बनने के लिए एक व्यक्ति में कुछ गुण होने चाहिए जो एक अच्छे इतिहासवेत्ता बनने के लिए आवश्यक हैं। एक शोधार्थी जिसमें निम्नांकित गुण हो तो वह एक अच्छा शोधार्थी कहा जा सकता है-

1. मानसिक अभिदृष्टि-

किसी दूसरे व्यक्ति को तुलना में एक शोधार्थी शोध-कार्य को अधिक निपुणता से कर सकता है। लेकिन ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो शोध-कार्य कर रहा है, को अच्छा शोधार्थी नहीं कहा जा सकता। एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी इतिहास को नही पढ़ा है, एक अच्छा शोधार्थी नहीं हो सकता है, लेकिन एक अच्छा शोधार्थी अपने व्याख्या करने की शक्ति और समझ के आधार पर वह एक अच्छा शोधार्थी हो सकता है।

हीगल एक दार्शनिक थे, कॉम्टे एक गणितज्ञ थे तथा कोशाम्भी, क्रोचे दोनों ही इतिहासविद् नहीं थे। फिर भी उनके द्वारा लिखे गये ग्रन्थ, ऐतिहासिक ग्रन्थों की श्रेणी में आते हैं और इतिहासकार उनका आदर से नाम लेते हैं। सारांश रूप में कहा जा सकता है कि मानसिक अभिव्यक्ति शैक्षिक योग्यता को तुलना में, एक अच्छा शोधार्थी बनने के लिए अधिक महत्त्व रखती है।

2. विश्लेषणात्मक अभिव्यक्ति-

एक योग्य और सच्चे शोधार्थी का दूसरा गुण यह होना चाहिए कि उसे विश्लेषणात्मक अभिव्यक्ति रखनी चाहिए ताकि वह आलोचनात्मक दृष्टिकोण के साथ संकलित तथ्यों का अवलोकन तथा व्याख्या कर सके। शोधार्थी को जो कुछ भी दूसरे इतिहासकारों ने उपलब्ध सामग्री पर लिखा है या उनके द्वारा वर्णित है, का सामान्य ढंग से अनुसरण नहीं करना चाहिए। उसे विश्लेषणात्मक अभिव्यक्ति के साथ प्रत्येक पहलू का परीक्षण करने की योग्यता भी रखनी चाहिए और ऐतिहासिक घटनाओं को खोज निकालने का प्रयास करना चाहिए। उसे तीक्ष्ण बुद्धि का होना चाहिए। यदि उसमें ये गुण नहीं हैं तो वह अपने को एक अच्छा विद्वान कभी भी सिद्ध नहीं कर सकता।

3. व्याख्या करने की योग्यता-

निस्सन्देह, आँकडों का संकलन शोध का एक अति महत्त्वपूर्ण पहलू है, लेकिन वह स्वयं को प्रमाणित नहीं करेगा। यह केवल शोधार्थी की योग्यता तथा क्षमता पर निर्भर करता है कि वह कैसे उपलब्ध सामग्री और दत्त संकलन को व्याख्यायित करता है। दत्तों को कई तरीकों से व्याख्यायित किया जा सकता है। एक अच्छा शोधार्थी अपने दृष्टिकोण से इस भरोसे दिलाने वाले दंग से तथ्य को व्याख्याति करता है कि उसके दृष्टिकोण को बिना किसी झिझक के दूसरे विद्वान तथा पाठक ग्रहण कर लें। वस्तुतः एक योग्य शोधार्थी को अपने पाठकों को भरोसा दिलाने की योग्यता होनी चाहिए।

4. श्रम के लिए क्षमता-

शोध-कार्य एक आसान कार्य नहीं है। इसको करने के लिए अत्यधिक श्रम की आवश्यकता होती है। यह कोई व्यावसायिक क्रिया-कलाप नहीं है और न ही उसे आमदनी का स्रोत समझना चाहिए। एक शोधाधी को कठोर परिश्रम में संलग्न रहना चाहिए। शोधार्थी को श्रम को बर्दाश्त करते हुए, आंकड़ों का संकलन करना और स्रोत-सामग्री का अवलोकन करने का प्रयल करना चाहिए। अपने शोध-कार्य को पूर्ण करने हेतु सार्वजनिक तथा निजी विभागों में अपने शोध-सामग्री की सत्यता का पता लगाना चाहिए।

5. विषय ज्ञान-

यह आवश्यक है कि शोधार्थी को अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसका दत्त संकलन करना आवश्यक है जो कि एक कठिन कार्य है उसे दत्त संकलन में उचित भिन्नता बनानी चाहिए और उपयोग की जाने वाली व अनुपयोगी सामग्री में अन्तर करना चाहिए। यदि वह भिन्नता करने के योग्य नहीं है तो वह महत्त्वपूर्ण पहलू का त्याग कर सकता है और द्वितीयक स्रोतों के अध्ययन की ओर ध्यान देना आवश्यक है। अत: यह एक शोधार्थी के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होगा कि वह कैसे संग्रहीत दत्तों को समझे।

6. निष्पक्ष दृष्टिकोण-

एक योग्य शोधार्थी की दूसरी खूबी है कि उसे निष्पक्ष अभिदृष्टि रखनी चाहिए। चूँकि प्रत्येक व्यक्ति की चेतना उसकी व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर होती है अतः शोध में वास्तविक अभिदृष्टि रखना एक बड़ा कठिन कार्य है। प्रत्येक इतिहासविद् का प्रत्येक ऐतिहासिक घटना के बारे में अपना व्यक्तिगत दृष्टिकोण होता है और इससे छुटकारा पाना आसान नहीं है। अत: बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, उसका दृष्टिकोण इधर-उधर प्रतिबिम्बित होता है।

एक शोधार्थी में क्या गुण होने चाहिये, एक अच्छे शोधकर्ता के पास क्या होना चाहिए
एक अच्छे शोधार्थी के गुण

एक योग्य शोधार्थी को अपने दृष्टिकोण तथा पहुँच में निष्पक्ष होना चाहिए। उसे प्रत्येक घटना का इतिहास वैसे ही वर्णित करना चाहिए, जैसा कि वह घटित हुआ है। उसे लिखते समय रंगीन चश्मा नहीं पहनना अर्थात् पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए।

7. गुणात्मक कार्य-

एक योग्य शोधार्थी की पूर्ण रुप से पहुच अपने विषय में, नवीन तथा विश्वसनीय होने के साथ-साथ तर्क-संगत भी होनी चाहिए। उसे उसकी मात्रा की बजाय उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि समय इतना महत्त्वपूर्ण नहीं जितना कि कार्य की गुणवत्ता होती है। यदि वह अपनी जिन्दगी में अपनी कृति का केवल एक जिल्द ही तैयार करता है और उसका कार्य लोगों को, उसकी बुद्धि और अथवा शोधार्थी प्रामाणिक ग्रन्थ और स्थापित्य तथ्यों पर आधारित घटनाओं को प्रदान करने के लिए समय समय की चिन्ता नही करता पर इतिहास में संसार के सभी भागों में प्रसिद्धी अर्जित की, वे वो हैं जिन्होंने वास्तव में महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यों को दर्शाया है।"

8. सन्तुलित अभिदृष्टि-

एक योग्य शोधार्थी को प्रत्येक घटना के प्रति व्यवस्थित दृष्टिकोण रखना चाहिए। यह वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से अन्तरंग सम्बन्ध रखता है। एक योग्य शोधार्थी को विचारों या विषयों का विवरण देने की आवश्यकता है कि वे घटनाएँ वास्तव में घटित हुई हैं। उसे अपने दृष्टिकोण में न तो आशावादी और न ही निराशावादी होना चाहिए। ठीक उसी समय, उसे किसी स्थापित्य तथ्यों की भर्त्सना नहीं करनी चाहिए और न ही प्रत्येक घटना की अधिक प्रशंसा करनी चाहिए। उसे प्रत्येक घटना के अनुमान या वास्तविकता से अधिक नहीं आंकना चाहिए। एक सन्तुलित अभिदृष्टि एक इतिहासकार को एक सफल शोधार्थी बनाती है। तथ्यों का गलत प्रदर्शन एक अच्दे तथा योग्य शोधार्थी के गुणों से उसे अलग करते हैं।

9. सामग्री का संग्रहण-

सामग्री का संकलन एक शोधार्थी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण गुण है। प्राथमिक तथा द्वितीयक स्रोतों को पूर्व घटनाओं के लिए उपलब्ध किया जा सकता है। स्रोत-सामग्री की सत्यता की परख हेतु निजी तथा सार्वजनिक विभागों को खोजा जाना चाहिए। यद्यपि स्रोत-सामग्री को, जो जिस व्यक्ति के अधिकार में हैं, प्राप्त करना बहुत कठिन है। लेकिन एक बुद्धिमान शोधार्थी को हालात को समझते हुए चतुराई से काम लेकर, स्रोत को अपने अधिकार में कर लेना चाहिए।

10. शोध योजना में लचीलापन-

एक शोधार्थी भली-भाँति यह जानता है कि उसका कार्य आसान नहीं है। अपने अध्ययन के दौरान, उसको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं से उसे हताश नहीं होना चाहिए। कभी-कभी कुछ न मालूम होने वाले कारणों के कारण अचानक शोधार्थी के कार्यों में विघ्न आता है और उसका एक निश्चित समय बुरी तरह से प्रभावित होता है। इससे ज्यादा, समय-समय पर आर्थिक समस्याएँ और शोध सामग्री की पहुँच भी शोधार्थी को विचलित कर देती है। अत: एक योग्य शोधार्थी का इन कोलाहलों से साहसपूर्ण सामना करने की आवश्यकता होती है। वस्तुतःउसे अपने कार्य की योजना को इस तरह तैयार करना चाहिए कि कोई समस्या आने पर वह उसे बदल सके। अत: उसकी योजना में लचीलेपन की आवश्यकता है।

11. शोध के उपकरण-

आजकल शोध के कुछ उपकरण तथा तकनीकी ज्ञान प्रकाश में आ चुके हैं। इससे न केवल एक योग्य शोधार्थी के कार्य को अधिक आसान बनाया बल्कि सुविधाजनक तरीके से दत संकलनों को संश्लेषित करने में समर्थ बनाया। आधुनिक तकनीक से आँकड़ों के ढेर को सही ढंग से संश्लेषित भी किया जा सकता है। शोध के क्षेत्र में कम्प्यूटर का इस्तेमाल बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। यह आँकड़ों को संश्लेषित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और समस्त तालिका निर्माण करने में उसे उपयोग में ला सकते हैं।

एक सफल शोधार्थी को इन उपकरणों तथा तकनीक को जानने के योग्य होना चाहिए। इन तकनीक को न जानने की स्थिति में वह अपने कार्य को सही और प्रभावशाली ढंग से पूर्ण नहीं कर पायेगा। एक कम्प्यूटर के उपयोग में लाने से एक शोधार्थी अपने समय को बचा सकता है।

12. समालोचना का सामना करने हेतु सहज बुद्धि एवं साहस-

एक योग्य शोधार्थी का एक आवश्यक गुण सहज बुद्धि है। इसके बिना वह अपना कार्य प्रभावी ढंग से पूर्ण नहीं कर सकता। इसमें मस्तिष्क की तीक्ष्णता और तर्क-शक्ति भी सम्मिलित है । यदि एक शोधार्थी विलक्षण बुद्धि रखता है तो वह कई जटिल समस्याओं को सुलझाने में समर्थ होगा।

एक योग्य शोधार्थी को आलोचना या समीक्षा का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसे जानना चाहिए कि लोग उसके कार्य की आलोचना या समीक्षा कर सकते हैं। अगर कोई भी बिन्दु आलोचना के लिए न भी हो तो भी एक योग्य शोधार्थी को समीक्षा की खातिर दूसरे के कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए। सारी आलोचनाओं के बावजूद, एक योग्य शोधार्थी को अपने कार्य को बन्द नहीं करना चाहिए। समालोचना की अनुपस्थिति में गलतियों में सुधार नहीं होगा और अधिक आलोचना होने पर, कभी-कभी शोधार्थी हताश हो जाता है। एक योग्य शोधार्थी को साहसपूर्ण इन सभी हमलों का सामना करना चाहिए और इन समीक्षाओं की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए।

13. शोध विधि का ज्ञान-

आजकल एक शोधार्थी को न केवल आँकड़ों तथा तथ्यों को संग्रह करने की आवश्यकता है और न घटनाओं के कालानुक्रम विवरण को अपने कार्य से बाँधना है। इसके अतिरिक्त, उसका अध्ययन केवल बादशाहों और समाज के दूसरे कुलीन वर्गों से सम्बन्धित ही नहीं है, बल्कि उसके अध्ययन का क्षेत्र अत्यधिक विस्तारित है। उसे सही निष्कर्षों के साथ घटनाओं तथा क्रिया-कलापों का तर्कसंगत मूल्यांकन, निरीक्षण तथा संश्लेषण करना होता है। अत: शोध विधि के ज्ञान की अच्छी जानकारी एक योग्य शोधार्थी के लिए अति आवश्यक है।

एक योग्य शोधार्थी के लिए, मानचित्र बनाने की जानकारी, रूपरेखा का ज्ञान तथा ग्रन्थ सूची के बारे में पता रखना भी अति आवश्यक है। इसके लिए उसे विभिन्न विधियाँ जैसे आँकड़ों का संकलन, पुस्तकालय का उपयोग, प्रश्नावली तैयार करने की विधि, साक्षात्कार विधि सर्वेक्षण विधि आदि का आश्रय लेना पड़ेगा। इसमें शोध कार्य की गुणवत्ता को भी सम्मिलित किया जायेगा। शोध विधि समय तथा उर्जा बचाती है और गुणों को निश्चित करती है। एक शोधार्थी को शोध विधि के जाने बिना, अपना समय तथा ऊर्जा व्यर्थ में बर्बाद करनी पड़ेगी।

इसके प्रभाव को डॉ. वी. शेख अली लिखते हैं, "ऐतिहासिक विधि भी वैज्ञानिक होती है। यह एक व्यवस्था, एक योजना तथा एक तरीका ग्रहण किया है। इसको नकारता अनगिनत गलतियों की अगवानी करेगी। इतिहास राजाओं तथा रानियों या दरबार तथा युद्ध की राजनैतिक घटनाओं के सिर्फ अभिलेख नहीं हैं बल्कि जिन्दगी के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णतया व्यक्ति के मस्तिष्क की उपज हैं। समस्याओं के निरे विश्वासघात को एक मूर्ख अकाट्य विधि के द्वारा आँकड़ों के बुद्धिमत्तापूर्वक हटाने की आवश्यकता है और इस प्रकार अधिक परिष्कृतता ने इतिहास-लेखन की कला और विज्ञान में भी प्रस्तुत किया है।"

वस्तुत: पूर्व इतिहास और आधुनिक इतिहास के मध्य एक बड़ा अन्तर है। इसके अतिरिक्त, ऐसे विद्वानों की संख्या बहुत थोड़ी सी है। वे उँगलियों पर गिने जा सकते हैं और ऐसे विद्वान कई शताब्दियों के उपरान्त पैदा होते हैं। लेकिन आधुनिक समय में, यदि कोई सुविधा एक शोधार्थी को प्राप्त होती है, तो उसे उसका उपयोग करना चाहिए। यह न केवल शोधार्थी का समय तथा ऊर्जा बचायेगी बल्कि उसकी गुणवत्ता को भी बढ़ायेगी। उपरोक्त सभी गुणों की, एक योग्य शोधार्थी को एक योग्य शोधकर्ता होने के लिए, अत्यधिक आवश्यकता होती है। शोधकर्ता एक ऐसा रचनाकार है जो नवीन तथ्यों को खोजकर उनकी नवीनता, मौलिकता और विश्वसनीयता की जाँच कर व्याख्यायित करता है और नवीन सिद्धान्तों का अथवा उसके परिवेश में तथ्यों को निरूपित करता है।

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