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इटली में सर्वप्रथम पुनर्जागरण के कारण

इटली में सर्वप्रथम पुनर्जागरण प्रारम्भ होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

1. व्यापार का विकास-

इटली में व्यापार के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ और वहाँ बड़े-बड़े नगरों का विकास हुआ। वेनिस, फ्लोरेन्स, मिलान आदि इटली के प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र थे। व्यापार की उन्नति के कारण यहाँ के लोग अत्यन्त धनी थे। ये धनी व्यक्ति साहित्यकारों, कलाकारों और दार्शनिकों को उदारतापूर्वक आश्रय देते थे।

2. धनी वर्ग का योगदान-

व्यापार की उन्नति के कारण इटली में बड़े-बड़े नगरों का उदय और विकास हुआ तथा धनी लोगों का प्रादुर्भाव हुआ। धनी लोगों ने साहित्य एवं कला के विकास में काफी योगदान दिया। फ्लोरेन्स नगर के शासक लोरेन्जों ने साहित्यकारों एवं कलाकारों को आश्रय प्रदान किया। उसने फ्लोरेन्स नगर में अनेक सुन्दर इमारतें बनवाई।

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इटली में सर्वप्रथम पुनर्जागरण के कारण


3. नगरों का विकास-

इटली में बड़े-बड़े नगरों का उदय और विकास हुआ। फ्लोरेन्स, वेनिस, मिलान आदि नगर काफी समृद्ध तथा उन्नत थे। इटली के ये नगर ज्ञान-विज्ञान के केन्द्र थे। इटली के नगरों के निवासी एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते थे। इन नगरों के धनी लोगों ने कलाकारों, साहित्यकारों आदि को उदारतापूर्वक आश्रय दिया।

4. इटली का वैभव-

इटली प्राचीन साम्राज्य एवं संस्कृति का प्रतीक था। इटली के पुनर्जागरण के लिए रोमन संस्कृति से प्रेरणा मिलती रही। अतः इटली पुनर्जागरण के लिए सर्वथा उपयुक्त था।

5. इटली की भौगोलिक स्थिति-

यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा इटली का यूनानी साम्राज्य तथा उसकी संस्कृति से घनिष्ठ सम्पर्क था। अत: इटली पर यूनानी संस्कति का पहले से ही काफी प्रभाव पड़ा हुआ था। भूमध्य-सागर पर इटली का प्रभुत्त्व स्थापित होने से इटली के व्यापार की अत्यधिक उन्नति हुई और वह एक धन-सम्पन्न देश बना हुआ था।

6. रोम का ईसाई संस्कृति का प्रमुख केन्द्र होना-

रोम ईसाई धर्म का भी प्रमुख केन्द्र था। पोप का निवास स्थान भी रोम ही था। पोप ने भी साहित्य एवं कला के विकास में योगदान दिया। पोप निकोलस पंचम ने सन्त पीटर गिरजाघर बनवाया। पोप जूलियस द्वितीय तथा लियो दशम ने भी साहित्य और कला को संरक्षण प्रदान किया।

7. राजनीतिक स्थिति का अनुकूल होना-

इटली के नगर पवित्र रोमन साम्राज्य के प्रभुत्व से मुक्त होकर स्वतन्त्र रूप से अपना निवास कर रहे थे। इटली के नगरों में सामन्त प्रथा भी विकसित नहीं हो सकी। अतः इन नगरों में कला, साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्रों में अत्यधिक उनति हुई।

8. धर्म-युद्ध-

ईसाइयों और मुसलमानों के बीच दीर्घकाल तक युद्ध लड़े गए, जिन्हें धर्म-युद्ध कहा जाता है । इन धर्म-युद्धों में यूरोप के शासकों,सामन्तों,धर्माधिकारियों और साधारण लोगों ने भाग लिया। धर्म-युद्धों से लौटने वाले अनेक सैनिक, व्यापारी आदि लोग इटली में ही बस गए। ये लोग पूर्वी देशों की सभ्यता तथा संस्कृति से बड़े प्रभावित थे। वे एक नवीन दृष्टिकोण लेकर इटली लौटे थे। अतः उन्होंने इटली में इन नवीन विचारों और दृष्टिकोणों का प्रचार करना शुरू कर दिया।

9. कुस्तुन्तुनिया पर तुर्कों का अधिकार-

1453 ई. में जब तुर्को ने कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लिया तो वहाँ के यूनानी विद्वानों ने भाग कर इटली में ही शरण प्राप्त की थी और वहीं बस गए थे। ये यूनानी विद्वान् अपने ग्रन्थ भी लेते आए थे। इन यूनानी विद्वानों ने इटलीवासियों को अत्यधिक प्रभावित किया।

10. इटली के विश्वविद्यालय-

इटली में अनेक विश्वविद्यालय स्थापित हो चुके थे। ये धर्म के नियन्त्रण से मुक्त थे । यहाँ विद्यार्थी किसी भी विषय का अध्ययन कर सकते थे। यहाँ के विश्वविद्यालयों में रोमन कानून तथा चिकित्सा शास्त्र जैसे विषयों का अध्ययन भी कराया जाता था।

11. पोप निकोलस पंचम का योगदान-

पोप निकोलस पंचम साहित्य एवं कला का संरक्षक था। उसने रोम के प्रसिद्ध सन्त पीटर के गिरजाघर का निर्माण करवाया। उसने विद्वानों, साहित्यकारों एवं कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया। उसने वेटिकन विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस प्रकार इटली में पुनर्जागरण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनी हुई थीं।

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