Heade ads

रीट नोट्स सामाजिक विज्ञान कक्षा 6-8 (इतिहास)

REET 2021 SST LEVEL-2 IMPORTANT NOTES

इस पोस्ट में रीट 2021 सामाजिक विज्ञान कक्षा 6-8 (REET SST NOTES 6-8) दिए गए है। इसमें प्राचीन भारत, सिन्धु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, महाजनपद, मौर्य काल, गुप्त काल, कला व संस्कृति से सम्बन्धित नोट्स शामिल है।
रीट नोट्स सामाजिक विज्ञान कक्षा 6-8 (इतिहास)
 
  • वे स्त्रोत जो पुराने है तथा पुरातत्ववेताओ द्वारा एकत्रित किए गए है, पुरातात्विक स्त्रोत कहलाते है। हमारे अतीत के ज्ञान भण्डार का पता शिलालेख व पुरातन सामग्री से चलता है।
  • वे प्राचीन स्त्रोत जो किसी भाषा में लिखे गए है साहित्यिक स्त्रोत कहलाते है।
  • मानव ने सर्वप्रथम ताम्बा धातु की खोज की थी।
  • सिंधु सभ्यता का पहला नगर पंजाब का हड़प्पा खोजा गया।
  • सिंधु सभ्यता के मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कोटदीजी एवं चन्हुदड़ो आदि स्थल पाकिस्तान में है।
  • सिंधु सभ्यता के रोपड़, लोथल, धोलावीरा, कालीबंगा आदि स्थल भारत में है।
  • वेदो की रचना सरस्वती नदी नदी के तट पर हुई, इस नदी का उद्गम शिवालिक पहाड़ियों से माना जाता है। सरस्वती नदी को सिंधु की माँ कहा गया है।
  • सिंधु के समकालीन नदी घाटी सभ्यताएं मिश्र की नील नदी घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया की दजला फरात व चीन की वाडंहो नदी सभ्यता है।
  • कालीबंगा सभ्यता स्थल राजस्थान के हनुमानगढ (1961 में दो टीलो के बीच इस सभ्यता स्थल को खोजा गया) जिले में स्थित है।
  • आहड़ सभ्यता स्थल उदयपुर (इसे ताम्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है) में स्थित है।
  • बागौर सभ्यता स्थल भीलवाड़ा में स्थित है।
  • बालाथल व गिलूण्ड सभ्यता स्थल उदयपुर में स्थित है।
  • नोह सभ्यता स्थल भरतपुर (ताम्रयुगीन लोहे की कुल्हाड़ी मिली है) में स्थित है।
  • चन्द्रावती सभ्यता स्थल सिरोही में स्थित है।
  • पछमता सभ्यता स्थल राजसमंद में स्थित है।
  • गणेश्वर सभ्यता स्थल सीकर (कांतली नदी के तट पर विकसित) में स्थित है।
  • बैराठ सभ्यता स्थल जयपुर (महाभारत काल के भी अवशेष मिले है) में स्थित है।
  • तरखान वाला डेरा सभ्यता स्थल श्रीगंगानगर में स्थित है।
  • सिंधु सभ्यता ईसा से 2500 वर्ष (वर्तमान से 4500 वर्ष) पुरानी मानी जाती है।
  • वेदो के लिखे जाने के आधार पर वैदिक काल को दो भागो में बांटा गया है, पूर्व वैदिक काल व उतर वैदिक काल।
  • वेदो की संख्या चार है जिनमे सबसे प्राचीन वेद ऋगवेद है।
  • यज्ञो में प्रयुक्त होने वाले मंत्र यजुर्वेद से मिलते है।
  • देवताओ की पूजा के सभी मंत्र सामवेद में मिलते है, भारतीय संगीत का उदभव सामवेद से हुआ है।
  • चिकित्सा विधि का ज्ञान अथर्ववेद से मिलता है।
  • वेद के चार भाग है, संहिता, ब्राह्मण, अरण्यक व उपनिषद्।
  • जीवन में जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कारो का उल्लेख वेदो में मिलता है।
  • वैदिक संस्कृति में मानव जीवन को चार आश्रमो में बांटा गया जो है ब्रह्मचार्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ व सन्यास।
  • आर्यों के राजनैतिक जीवन का मूल आधार कुटुम्ब को माना गया है, वैदिक संस्कृति में कुटुम्ब शब्द परिवार के लिए प्रयुक्त हुआ है।
  • कुटुम्बो से मिलकर ग्राम बनता था और ग्रामो के मिलने से विश बनता था, विश का मुखिया विशपति होता था।
  • विश के समुह से जन का निर्माण होता था। जन का शासक राजन या जनपति कहलाता था।
  • आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि था।
  • वैदिक काल में खिल्य भूमि बंजर भूमि को कहा जाता था।
  • वैदिक सभ्यता में व्यापारी को पणि कहा जाता था।
  • ऋगवेद में निष्क नामक सिक्के के बारे में पता चलता है।
  • वैदिक सभ्यता में व्यापार की वस्तु विनिमय पद्धति प्रचलन में थी।
  • जन समूह या कबीला जिस स्थान पर निवास करता था उसे जनपद कहा जाता था।
  • बड़े जनपदो में छोटे जनपदो के मिलने से महाजनपद का निर्माण हुआ।
  • महाजनपदो की सर्वप्रथम जानकारी बौद्ध ग्रंथ अंगुतरनिकाय से मिलती है जिसमें महाजनपदो की संख्या 16 बताई गई है।
  • महाभारत काल में मत्सय जनपद की राजधानी विराटनगर में पाण्डवो ने अज्ञातवास बिताया था।
  • महाजनपद काल का सबसे शक्तिशाली जनपद काशी माना गया है।
  • रामायण काल में कौशल महाजनपद की राजधानी अयोध्या को बताया गया है।
  • बौद्ध काल में कौशल की राजधानी श्रावस्ती बताया गया है।
  • महाभारत में उल्लेखित राजा शिशुपाल का सम्बंध चेदि महाजनपद से था।
  • शूरसेन के यादव राजवंश में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
  • तक्षशिला महाविद्यालय गांधार जनपद का एक अंग था।
  • महाजनपद काल में राजा को गणपति कहा जाता था।
  • भारत का प्रथम विशाल साम्राज्य मगध महाजनपद को कहा जाता है।
  • मगध की सेना के महत्वपूर्ण अंग हाथी थे।
  • मगध राज्य की प्रथम राजधानी गिरिव्रज माना गया है।
  • मगध राज्य के उत्थान व समृद्धि में अजात शत्रु का सबसे महत्वपूर्ण योगदान माना गया है।
  • नंदवंश के शासको ने मगध की सेना में वृद्धि की।
  • नन्द वंश के शासन के पतन का मुख्य कारण अतिरिक्त कर था।
  • नंद वंश के बाद मगध का राजा चन्द्रगुप्त मौर्य बना।
  • मौर्यकाल का शासन काल चौथी शताब्दी ई.पू. से दूसरी शताब्दी ई.पू. तक रहा।
  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) का रहा। आचार्य चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करते थे।
  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना के समय घनानन्द राजा का शासन था।
  • चाणक्य की प्रसिद्ध रचना अर्थशास्त्र थी, चाणक्य को कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है।
  • सिकन्दर के उतराधिकारी सेल्यूकस को चन्द्रगुप्त ने बुरी तरह से पराजित किया था।
  • मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल में सेल्यूकस के राजदूत के रूप में मगध में रूका।
  • मेगस्थनीज की रचना इंडिका है।
  • चन्द्रगुप्त ने जीवन के अंतिम समय में जैन धर्म के भद्रबाहु को अपना गुरू बनाया। (जैन धर्म के भद्रबाहु को श्रवणबेलगोला में गुरू बनाकर तप का मार्ग अपनाया)
  • मौर्य शासक बिन्दुसार को अमित्रघात कहा जाता है।
  • सम्राट अशोक का उसके अभिलेखो में देवानां प्रियदर्शी नाम आता है।
  • अशोक मौर्य शासन का सम्राट 269 ई.पू. बना।
  • कलिंग युद्ध के नरसंहार ने अशोक का हृदय परिवर्तन किया व उसने कभी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा ली।
  • अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा में है तथा अभिलेखो की लिपि ब्राह्मी लिपि है।
  • अशोक की अच्छी शिक्षाएं अशोक का धम्म नाम से चर्चित हुई।
  • बौद्ध धर्म की पाटलिपुत्र में तृतीय संगोष्ठी सम्राट अशोक के काल में सम्पन्न हुई।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए सिंहल (श्रीलंका) में महेन्द्र एवं संघमित्रा को भेजा।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए यवन प्रदेश में महारक्षित को भेजा।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए वनवासी (उतरी कनाडा) में रक्षित को भेजा।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्वर्णभूमि (पेंगू) में सोन व उतरा को भेजा।
  • मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद सबसे बड़ा साम्राज्य कुषाण रहा।
  • प्रमुख कुषाण शासक कनिष्क था।
  • गुप्तवंश का प्रथम प्रतापी शासक चन्द्रगुप्त प्रथम था।
  • गुप्त शासक समुद्रगुप्त ने अश्वमेघ यज्ञ कर उसकी स्मृति मे अश्व चित्रित सिक्के चलाए।
  • प्रयाग प्रशस्ति का रचयिता हरिषेण था जो समुद्रगुप्त का मंत्री व लेखक था।
  • गुप्त शासक समुद्रगुप्त को वीणा वादन का शौक था।
  • गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपने समकालीन शक विदेशी आक्रमणकारियो का परास्त किया।
  • विक्रमादित्य ने अपने विजयी अभियानो के बाद कैलेण्डर विक्रमी सम्वत् चलवाएं।
  • विक्रमादित्य के दरबार के नौ रत्न थे- महाकवि कालिदास, धन्वन्तरी, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, वेताल भट्ट, घटकर्पर, वराहमिहिर व वररूचि
  • चीनी यात्री फाह्यान विक्रमादित्य के काल में भारत आया।
  • भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग गुप्त वंश के शासन काल को माना गया है।
  • देशी व्यापार के लिए प्राचीन भारत में दो पथ (उतरा पथ व दक्षिणा पथ) थे।
  • उतरा पथ ताम्रलिप्ति (बंगाल) से पाटलिपुत्र, वैशाली, कुशीनगर, श्रावस्ती, हस्तिनापुर, कश्मीर, तक्षशिला, पुष्कलावती, अफगानीस्तान, काबुल से बल्ख तक
  • अस्थियो के उपर मिट्टी व ईंटो से बनाए जाने वाले अर्द्धवृताकार टीले स्तूप कहलाते है।
  • बुद्ध के अवशेषो को 8 भागो में बांटा गया।
  • अमरावती स्तूप आन्ध्र प्रदेश में स्थित है।
  • सांची का स्तूप मध्य प्रदेश में स्थित है।
  • भारहूत स्तूप के अवशेष कोलकता संग्रहालय में है।
  • गुफा में पूजा हेतु निर्मित ठोस स्तूप चैत्य कहलाते है।
  • भिक्षुओ के रहने के लिए बनाई गई गुफाएं विहार।
  • चैत्य तथा विहार की मुख्य विशेषता यह थी कि इनकी दीवारो पर चित्र व बौद्ध धर्म से जुड़ी जातक कथाओ का चित्रण मिलता है।
  • अजन्ता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में बाघोरा नदी की घाटी में स्थित है जो कुल 29 है जिनमे 5 चैत्य है।
  • 490 ई. के बाद अजन्ता को छोड़कर सब ऐलोरा (स्थानीय भाषा में वेल्लूर) चले गए।
  • भारतीय मुर्तिकला का वास्तविक स्वरूप का प्रारम्भ मौर्यकाल से माना जाता है।
  • सारनाथ के अशोक स्तम्भ में चार शेर है।
  • अशोक स्तम्भ के आधार में बैल, घोड़ा, हाथी व शेर उल्लेखित है।
  • भारतीय कला के इतिहास में गुप्तकाल को स्वर्ण काल माना जाता है।
  • आयुर्वेद का ग्रंथ चरक ने लिखा।
  • शल्य चिकित्सा की जानकारी सुश्रुत संहिता ग्रंथ में मिलती है।
  • आर्यभट्ट का संबंध खगोल विज्ञान से था।
  • आर्यभट्ट की रचना आर्यभट्टीय थी।
  • बौद्ध ग्रंथ विनय पिटक में भिक्षुओ के लिए नियम संग्रहित है।
  • बौद्ध ग्रंथ सुत्त पिटक में बुद्ध की शिक्षाएं संग्रहित है।
  • बौद्ध ग्रंथ अभिधम्म पिटक में दर्शन व सांसारिक ज्ञान के विषय संग्रहित है।
  • तमिल भाषा में लिखा साहित्य संगम साहित्य कहलाता है।
आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी। यदि जानकारी आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।

Post a Comment

0 Comments