बड़े-बुजुर्गों के मुंह से अक्सर घरेलू उपायों में गिलोय (Giloy) की बेल के चमत्कारी गुणों के बारे में तो हम सभी ने सुना है। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि। 'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है।'
कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है।
गिलोय की बेल के चमत्कारी गुण |
गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों
में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना
गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यूं तो गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं।
गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती
है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी
लाभकारी होती है।
आप गिलोय
के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में
भी लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है एवं बुखार, उलटी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी रामबाण का
काम करती है। इतना ही नहीं महिलाओं में शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक
लाभकारी है।
गिलोय अमृता या अमृतवल्ली
अर्थात कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है।
इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के
और फल मटर के दाने जैसे होते हैं। यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी
इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी
जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर
पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की
वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने
वाले रोगाणुओं को खत्म कर देती है।
इसका वानस्पिक
नाम (Botanical
name) टीनोस्पोरा
कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के
पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके
बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी
निखारते हैं।
गिलोय के फायदे
गिलोय के औषधीय गुण और गिलोय
के फायदे बहुत तरह के बीमारियों के लिए उपचारस्वरूप इस्तेमाल किया जाता है लेकिन
सही जानकारी न होने पर यह कई बार सेहत पर उल्टा असर भी डालती है। इसलिए गिलोय का
औषधीय प्रयोग,
प्रयोग की मात्रा
और तरीके का सही ज्ञान होना ज़रूरी है।
बुखार में लाभकारी-
अगर किसी को
बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के
बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन
की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा
दिलाती है। 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250
मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसलकर-छानकर प्रयोग करें। इसे 20
मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
रोग प्रतिरोधक
क्षमता बढ़ाने में-
गिलोय एक ऐसी बेल
है, जो व्यक्ति की रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर
मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम
करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से
लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक
है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।
पीलिया रोग में लाभकारी-
गिलोय के औषधीय
गुण पीलिया से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। गिलोय के 20-30 मिली
काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ
होता है। गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह
के समय पीने से पीलिया ठीक होता है। गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला
बनाकर पहनने से भी पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
कब्ज का इलाज-
गिलोय को 10-20 मिली रस के साथ
गुड़ का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय
को बराबर भाग में लेकर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की
मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
बवासीर का उपचार-
हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर
भाग 20 ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाए तो खौलाकर काढ़ा
बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती
है। काढ़ा बनाकर पीने पर ही गिलोय के फायदे पूरी तरह से मिल सकते हैं।
हिचकी को रोके गिलोय-
गिलोय तथा सोंठ
के चूर्ण को नसवार की तरह सूंघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के
चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।
टीबी रोग में
लाभकारी-
गिलोय का औषधीय
गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं गिलोय के साथ
अश्वगंधा, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को
बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा सुबह और शाम सेवन करने से
टीबी की बीमारी ठीक होती है।
उलटी में कारगर है गिलोय-
गिलोय के सेवन से उल्टी रुकती
है। एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4.6 ग्राम मिश्री
मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। 20.30 मिली गुडूची के
काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।
डायबिटीज के रोगियों
के लिए फायदेमंद -
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक
एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन
से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है। डायबिटीज
की बीमारी में गिलोय कंट्रोल करने में कारगर है। गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवंला और हरड़ लें। इसके
साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा
पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकरए छानकर रख
लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार
सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
पाचन शक्ति बढ़ाने
में-
यह बेल पाचन
तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया
में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।
तनाव या स्ट्रेस कम
करने में-
प्रतिस्पर्धा के
इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन
की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के
स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की
कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने
में लाभकारी-
आंखों के रोग में गिलोय के
औषधीय गुण राहत दिलाते हैं। इससे अंधेरा छाना, आंखों में चुभन और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते
हैं। गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। सुबह और शाम सेवन करने से आंखों
की रोशनी बढ़ती है।
अस्थमा में
फायदेमंद-
मौसम के परिवर्तन
पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में
अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस
पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा
गठिया और जोड़ो के
दर्द में लाभकारी-
गठिया यानी आर्थराइटिस
में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी
आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह
जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।
लीवर विकार को ठीक
करने में-
18 ग्राम ताजी
गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग
नीम को लेकर सेंक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन
में रख दें। सुबह पीसकर छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट
की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।
एनीमिया में लाभकारी-
भारतीय महिलाएं
अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और
कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़
जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।
कान के रोग में लाभकारी-
कान की बीमारी
में भी गिलोय फायदेमंद है। कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी
गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें।
एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।
पेट की चर्बी को कम
करने में-
गिलोय शरीर के
उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट
के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।
जवान रखने व खूबसूरती
बढ़ाने में-
गिलोय न केवल सेहत
के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा
और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है। गिलोय में एंटी एजिंग गुण
होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से
काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और
झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते
हैं, जिसकी कामना हर किसी को
होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर
लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा
नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके
घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।
बालों की समस्या दूर
करने में-
अगर आप बालों में
ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा
की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी
दूर हो जाएंगी।
गिलोय का प्रयोग
गिलोय जूस-
गिलोय की डंडियों
को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह
खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है
काढ़ा-
चार इंच लंबी
गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी
आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।
पाउडर-
यूं तो गिलोय
पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की
डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर
बनाकर रख लें।
गिलोय वटी-
बाजार में गिलोय
की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध
नहीं है तो आप इनका सेवन करें।
गिलोय के साथ में उपयोग के फायदे-
अरंडी यानी
कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में
आराम मिलता है।
इसे अदरक के साथ
मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।
खांड के साथ इसे
लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।
आर्थराइटिस से
आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर
खाएं।
गिलोय के नुकसान और सावधानियां
गिलोय के फायदे पढ़कर अगर आपको लगता है
कि गिलोय से सिर्फ लाभ ही लाभ हैं तो ऐसा नहीं है। अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा
में गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको गिलोय के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं।
आइये जानते हैं
कि गिलोय के नुकसान क्या हैं और किन परिस्थितयों में गिलोय का सेवन नहीं करना
चाहिए-
गर्भावस्था (Pregnancy)-
गर्भवती और स्तनपान कराने
वाली महिलाओं को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालांकि गर्भावस्था
के दौरान गिलोय के नुकसान के प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए
गर्भावस्था में गिलोय का सेवन ना करें।
निम्न रक्तचाप (Low Blood pressure)-
जो लोग पहले से
ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के मरीज हैं उन्हें गिलोय के
सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती है। इससे मरीज
की स्थिति बिगड़ सकती है। इसी तरह किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय (Giloy in hindi) का सेवन किसी भी रुप में
नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती है जिससे सर्जरी के दौरान
मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा-
गिलोय के सेवन से शरीर की
इम्युनिटी पॉवर मजबूत तो होती है लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की
वजह से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए ऑटो इम्यून
बीमारियों जैसे कि मल्टीप्ल स्केरेलोसिस या रुमेटाइड आर्थराइटिस आदि से पीड़ित
मरीजों को गिलोय से परहेज की सलाह दी जाती है।
डिस्क्लेमर
सलाह सहित यह
सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा
राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक
से परामर्श करें।
आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको काफी पसंद आई होगी। यदि जानकारी आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।
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